इंस एक्सप्रेस भारत की अपनी तरह की पहली ट्रेन है ,जिसकी छतों पर स्वदेशी सौर पीवी मॉड्यूल लगे हुए हैं। यह गाड़ी मेक इन इंडिया के साथ-साथ भारत सरकार की स्वच्छ भारत-हरित भारत विचारधारा का प्रदर्शन मात्र है।
साइंस एक्सप्रेस की छत पर लगे सौर पैनल
भारतीय रेल हरित ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए वचनबद्ध है और इस प्रक्रिया में प्रायोगिक आधार पर गैर-वातानुकूलित ब्रॉडगेज कोचों मे से एक की छत पर परंपरागत सौर पैनल भी लगाया गया है। इस कोच में यह दर्शाया गया है कि दिन के समय सौर शक्ति से और रात्रि के समय आंशिक तौर पर बैट्रियों में स्टोर की गई अतिरिक्त सौर ऊर्जा से भी गैर-वातानुकूलित कोच की ऊर्जा संबंधी लगभग सभी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव है। प्रदर्शन एवं इस क्षेत्र में विभिन्न संभावनाओं पर आगे कार्य करने के लिए साइंस एक्सप्रेस को लक्ष्य बनाया गया है। विज्ञान के आकांक्षी उम्मीदवारों के लिए यह मोबाइल शैक्षिक संस्थान के रूप में कार्य करेगा। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, गहन जानकारियो तथा विज्ञान और तकनीकी के यथासंभव हर पहलू की जानकारी इसमें उपलब्ध है। अपनी सौर कुशलताओं का प्रयोग करके सीईएल ने साइंस एक्सप्रेस में तीन वातानुकूलित कोचों पर सौर पैनल लगाएं हैं। इस ट्रेन के एक कोच की छत पर स्वदेशी लचीले पीवी मॉड्यूल का इस्तेमाल भी रिकॉर्ड समय में किया गया है।
सांइस एक्सप्रेस की छत पर सौर पैनल
सांइस एक्सप्रेस की छत पर सौर पैनल
साइंस एक्सप्रेस में एडहेसिव का प्रयोग करके मॉड्यूल को कोच की छतों पर माउंट किया गया है। अधिक मजबूत बंधन के लिए जो एडहेसिव प्रयोग किया गया है वह पोलीयूरेथीन एडहेसिव सीलेंट 560 है जो रिवेट और यांत्रिक बंधनों का स्थान ले सकता है। यह लंबे समय तक पराबैंगनी किरणों को सह सकता है। इसके अतिरिक्त,दोहरी सुरक्षा के लिए “ 3एम एक्सट्रीम सीलिंग“ टेप का भी प्रयोग किया जाता है। यह टेप अपघर्षण प्रतिरोधी है और इसमें अत्युत्तम एडहेसिव गुण हैं।
इसमें, प्रत्येक कोच में अलग अलग तकनीकी का प्रयोग किया गया है। इन तकनीकियों से 80% तक भार में कमी आई है। ये सभी लचीले(फ्लेक्सिबिल) सौर पैनल हैं। इस प्रक्रिया में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड(सीईएल), विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय का एक सार्वजनिक उपक्रम औरों की तुलना में काफी आगे है और “मेक इन इंडिया” पहल के अंतर्गत सीईएल द्वारा साइंस एक्सप्रेस में प्रयोग हेतु लचीले सौर फोटोवोल्टोइक मॉड्यूल विशेष रूप से डिज़ाइन किए और बनाए हैं। प्रत्येक तीन में से एक कोच में भारत में बने लचीले सौर पैनल लगाए गए हैं। यह पहली बार है कि लचीले पीवी मॉड्यूल अपने देश में ही बनाए गए हैं। अनुमानतः 3 केवीए शक्ति का सौर फोटोवोल्टेइक पावर प्लांट कोच की छत पर लगाया गया है। इनके द्वारा यूटिलिटी ग्रिड का प्रयोग करने वाले इन्वर्टर को विद्युत आपूर्ति की जाती है। इन्वर्टर की आउटपुट पावर को एलटी साइड(415 वोल्ट, 3 फेज़) के समतुल्य कर दिया जाता है। ये प्लांट स्वतः चालित हैं और माइक्रोप्रोसेसर-आधारित कंट्रोल सिस्टम द्वारा नियंत्रित होते है।


सांइस एक्सप्रेस की छत पर सौर पैनल
सांइस एक्सप्रेस की खिड़की में सौर पैनल
किसी भी प्लांट की विश्वसनीयता अधिकांशतः, इन्वर्टर की कन्फिगरेशन और प्रकार्यात्मकता, ग्रिड के साथ इन्वर्टर के इंटरफेस, जिस तरीके से इन्वर्टर अलग-अलग स्थितियों का पता लगाता है और ग्रिड विफलता की स्थिति में ग्रिड से अलग करने के लिए की गई सुधारात्मक कार्रवाई पर निर्भर होती है। पावर कंडीशनिंग यूनिट/इन्वर्टर विशेष ग्रिड को एसी पावर प्रदान करता है जिसका उद्देश्य है परंपरागत पावर पर निर्भरता कम करने के साथ-साथ जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करना(जैसे-डीज़ल). पावर कंडीशनिंग यूनिट मुख्यतः एमपीपीटी और इन्वर्टर से बनता है। उच्च क्षमता युक्त इन्वर्टर, पावर संरक्षण के लिए आईजीबीटी डिवाइस लगाकर सरणि में मौजूद डीसी पावर को एसी में कन्वर्ट करता है। माइक्रोप्रोसेसर द्वारा नियंत्रित इन्वर्टर एमपीपीटी तकनीक को तथा सभी अपेक्षित सुविधा फीचर्स को समाविष्ट करता है।
संरक्षा के सभी उपायों पर भी विचार कर लिया गया है। छत के सभी तारों को लंबी अवधि तक चलने वाले टेप से आवृत्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त इन तारों को कोचों के अंदर लचीली ट्यूब के अंदर डाला गया है। विभिन्न चरणों पर पृथक्करण (isolation) के विभिन्न स्तरों को प्रदान किया गया है। जंक्शन बॉक्स के अंदर फ्यूज़ कट ऑफ लगाए गए हैं और एमसीबी एसी आउटपुट के डोरस्टेप के ठीक बाहर और आरएमपीयू के एलटी पैनल के पास लगाया गया है।